बास्केटबॉल चैंपियन है इशांत शर्मा की दुल्हनिया...

क्रिकेटर और फास्ट बॉलर इशांत शर्मा के बारे में तो आप जानते होंगे, पर क्या आप उनकी होने वाली दुल्हनिया के बारे में जानते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं प्रतिमा सिंह की. आइये जानते हैं कि कौन हैं प्रतिमा सिंह और वो क्या करती हैं...

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Pratima Singh Pratima Singh

मेधा चावला

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST

क्रिकेट इशांत शर्मा, जिस लड़की पर अपना दिल हार चुके हैं, जिससे उनकी शादी हो रही है, वह कोई और नहीं बल्क‍ि देश की बास्केटबॉल टीम की चैम्पियन प्रतिमा सिंह है.

दिल्ली में हो रहे एक बास्केटबॉल टूर्नामेंट में इशांत ने पहली बार प्रतिमा को देखा था और तभी अपना दिल हार बैठे थे. इशांत शर्मा की तरह ही प्रतिमा सिंह भी बनारस की ही रहने वाली हैं. इशांत का कद जहां 6'4'' है, वहीं प्रतिमा की हाइट 5'9'' है. हम सब इशांत शर्मा और उनके बॉलिंग स्टाइल से मुखातिब हैं. आइये प्रतिमा सिंह के बारे में जानते हैं.

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बनारस का परिवार
प्रतिमा का जन्म 6 फरवरी 1990 को बनारस में हुआ. पांच बहनों में वो सबसे छोटी हैं. पांचो बहनें बास्केटबॉल ही खेलती हैं. इन्हें सभी 'सिंह सिस्टर्स' के नाम से पुकारते हैं. प्रतिमा का एक छोटा भाई भी है, विक्रांत सोलंकी जो फुटबॉल खेलता है और देश की जूनीयर आई-लीग टीम का हिस्सा है.

उनके पिता गौरी शंकर सिंह इलाहाबाद बैंक में सीनियर ब्रांच मैनेजर हैं और उनकी मां उर्मिला रिटायर्ड टीचर.

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यहां मिलें 'सिंह सिस्टर्स' से

प्रियंका, दिव्या, प्रशांती, आकांक्षा और प्रतिमा, इन पांचों बहनों को बनारस में लोग 'सिंह सिस्टर्स' कह कर पुकारते हैं. सबसे बड़ी और सबसे छोटी बहन की उम्र में लगभग दस साल का फासला है.
सबसे हैरानी की बात यह है कि पांचों बहनों ने अपने बास्केटबॉल करियर की शुरुआत यूपी कॉलेज बास्केटबॉल कोर्ट से ही की थी. इसकी एक वजह यह थी कि यह कोर्ट घर के सबसे करीब था. इन पांचों में सिर्फ प्रियंका ने उत्तर प्रदेश स्टेट टीम के लिए खेला, बाकी सभी छोटी बहनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को प्रतिनिध‍ित्व किया. प्रियंका अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में बास्केटबॉल कोच के तौर पर काम कर रही हैं. वहीं दिव्या अंडर-16 इंडियन मेन्स बास्केटबॉल टीम की हैं.

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बास्केटबॉल करियर

अपनी बड़ी बहनों के नक्शे-कदम पर चलते हुए प्रतिमा ने भी बास्केटबॉल खेलना शुरू कर दिया. प्रतिमा ने 6 साल की उम्र में ही बास्केटबॉल खेलना शुरू कर दिया था. एक साक्षात्कार में प्रतिमा ने कहा था कि बास्केटबॉल हमारा 'फैमिली बिजनेस' बन गया है.
साल 2003 में प्रतिमा ने पहली बार सब-जूनि‍यर टीम में सिल्वर मेडल जीता था. इसके बाद प्रतिमा ने स्टेट टीम और जूनि‍यर लेवल की टीम दोनों में खेलना शुरू कर दिया था. दिल्ली में पढ़ाई करने के दौरान भी प्रतिमा कॉलेज और यूनिवर्सिटी की बास्केटबॉल टीम के साथ जुड़ी रहीं. अब उन्होंने बास्केटबॉल की नेशनल टीम में अपनी जगह फिक्स कर ली है.

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पढ़ाई और खेल, दोनों में आगे

बनारस में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए प्रतिमा दिल्ली आ गईं. यहां उन्होंने जीसस एंड मैरी कॉलेज से अंडर-ग्रेजुएट की डिग्री ली. इंस्टीट्यूट की एचओडी अंजू लूथरा ने 'द क्व‍िंट' को बताया कि प्रतिमा ब्रिलिएंट स्टूडेंट थीं. जेएमसी में पढ़ाई करते हुए प्रतिमा को 'आउटस्टैंडिंग स्पोर्ट्स वुमेन ऑफ द ईयर' का खिताब भी दिया गया था. प्रतिमा ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिलिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंस से फिजिकल एंड हेल्थ एजुकेशन विषय में ग्रेजुएशन किया. इसके साथ ही नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, पटियाला से उन्होंने बास्केटबॉल कोचिंग में डिप्लोमा भी किया. प्रतिभा ने खेल के लिए पढ़ाई को कभी नजरअंदाज नहीं किया और यही वजह है कि उनका प्रदर्शन दोनों क्षेत्रों में बेहतरीन रहा. जहां खेल में उन्होंने खिताब जीते, वहीं पढ़ाई में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन कर अच्छे अंक हासिल किए.

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वर्तमान और भविष्य

नेशनल टीम में होने के बावजूद प्रतिमा जेनेसिस ग्लोबल स्कूल, नोएडा में चीफ स्पोर्ट्स एडवाइजर के तौर पर काम कर रही हैं. देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को संवारना उनके फ्यूचर प्लान्स में है. प्रतिमा एक एकेडमी भी खोलना चाहती हैं, जहां छात्रों को बास्केटबॉल, क्रिकेट और फुटबॉल की एक साथ कोचिंग मिलेगी.

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